केवल आधार के जरिये मिलेगा PAN, इस महीने से शुरू होगी सुविधा: राजस्व सचिव

0
767

सरकार आधार की जानकारियां प्रदान करने पर तत्काल ऑनलाइन पैन कार्ड जारी करने की सुविधा इस महीने से शुरू करने जा रही है. राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने इसकी जानकारी दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में एक फरवरी को पेश आम बजट 2020-21 में पैन आवंटन करने की प्रक्रिया को आसान करने का प्रस्ताव किया गया था. बजट में कहा गया था कि इसके लिये आधार के जरिये तत्काल आधार पर स्थायी खाता संख्या (पैन) जारी करने की सुविधा दी जाएगी.

प्रणाली को किया जा रहा है तैयार: पांडेय

पांडेय ने यह पूछे जाने पर कि इस सुविधा की शुरुआत कब से होगी, कहा कि प्रणाली को तैयार किया जा रहा है. इस महीने से इसकी शुरुआत होगी. उन्होंने इस सुविधा को विस्तार से समझाते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाकर इसका लाभ उठा सकता है. उसे इसके लिये आधार संख्या प्रस्तुत करने की जरूरत होगी, इसके बाद उसे आधार के साथ पंजीकृत मोबाइल पर ओटीपी मिलेगा. ओटीपी से आधार की जानकारियों का सत्यापन होगा. इसके बाद तत्काल पैन जारी हो जाएगा और उपभोक्ता अपना ई-पैन डाउनलोड कर सकेंगे.

पैन के साथ आधार जोड़ना अनिवार्य

सरकार ने पैन धारकों के लिये पैन के साथ आधार को जोड़ना अनिवार्य कर दिया है. देश में 30.75 करोड़ से ज्यादा पैन धारक हैं. हालांकि 27 जनवरी 2020 तक 17.58 करोड़ पैन धारकों ने पैन के साथ आधार को नहीं जोड़ा था. इसकी समयसीमा 31 मार्च 2020 को खत्म हो रही है. नई सुविधा से करदाताओं को आवेदन फॉर्म भरने और कर विभाग में जाकर जमा करने से छुटकारा मिलेगा. कर विभाग को भी डाक के जरिये पैन कार्ड उपभोक्ताओं के पते पर भेजने से छुटकारा मिलेगा.

पांडेय ने प्रस्तावित करदाता चार्टर की कार्यप्रणाली के बारे में कहा कि अभी तक सारे कर कानून करदाताओं की जिम्मेदारियां तय करते हैं. हालांकि कर विभाग के लिये इस तरह से कोई जिम्मेदारी नहीं तय की गई है. इसके पीछे यही विचार है कि कर विभाग के लिये भी इस तरह की जिम्मेदारियां तय की जाएं. उन्होंने कहा कि अगर कोई कर अधिकारी चार्टर का पालन नहीं करेगा तो उसे दंडित किया जाएगा.

पांडेय ने कहा कि पूरी प्रक्रिया इस बारे में है कि उनकी प्रणाली भरोसे पर आधारित होनी चाहिए, ऐसी प्रणाली जिसमें करदाताओं को परेशान नहीं किया जाए. इसके लिए वे कर अधिकारियों और करदाताओं के आमने-सामने होने की जरूरत को न्यूनतम बनाना होगा, अधिकांश समस्याओं को ऑनलाइन सुलझाया जा सकता है, पूरी प्रणाली बेहद सामान्य होगी. उनके आकलन के लिए अधिकारियों और करदाताओं के आमने-सामने होने की जरूरत को खत्म किया, अब अपील को लेकर भी ऐसी व्यवस्था की गयी है, उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.