भारत में डिजिटल भुगतान बहुत तेजी से बढ़ा है. इसमें केवल पारंपरिक ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम जैसे RTGS/ NEFT/ECS ही शामिल नहीं है. बल्कि इनके मुकाबले नए पेमेंट के माध्यम जैसे इमिडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS), वॉलवेट सर्विसेज और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) का भी इस्तेमाल में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. हाल के दिनों में UPI सबसे लोकप्रिय पेमेंट माध्यमों से एक बनकर उभरा है. ऑनलाइन भुगतान बढ़ने और UPI के जनवरी 2020 में 1.3 बिलियन ट्रांजैक्शन पूरे होने के साथ लोगों के लिए इन्हें आसान और सुरक्षित बनाना जरूरी हो गया है.
जानकारों का मानना है कि UPI के इस्तेमाल से डिजिटल भुगतान करना आसान हुआ है, जिसकी वजह से बहुत से लोगों ने इसे अपनाया है. लेकिन इसके साथ फ्रॉड के मामले भी देखे जा रहे हैं. कुछ धोखेबाज लोगों की लापरवाही और इन प्लेटफॉर्म के बारे में कम जानकारी होने का फायदा उठाते हैं. हर दिन बहुत से लोग इन फ्रॉड का शिकार होते हैं और अपने पैसे गंवा बैठते हैं. इसलिए UPI या इसके जैसे पेमेंट इंटरफेस का इस्तेमाल करते समय, व्यक्ति को कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है. लोगों को किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ बात करते समय अपनी बैंकिंग या फाइनेंस से जुड़ी जानकारी या फोन पर साझा करने से बचना चाहिए. धोखाधड़ी से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
बिना वेरिफाई वाले ऐप्स से बचें
बिना वेरिफाई वाले ऐप को फोन में इंस्टॉल करने से सावधान रहना चाहिए. आजकल लोग किसी भी ऐप को डाउनलोड कर लेते हैं. इसकी वजह स्मार्टफोन्स और इंटरनेट की आसान कनेक्टिविटी है. लोग बिना ऑथेंटिकेशन के ऐप्स को डाउनलोड करते रहते हैं. ऐसे ऐप इंस्टॉल होने के बाद मोबाइल को कंट्रोल करते हैं. कुछ पॉपुलर फ्रॉड ऐप के उदाहरण AnyDesk, Team-Viewer आदि हैं.
पेमेंट करने के लिए लिंक
किसी भी दिए गए लिंक पर पेमेंट करने के लिए क्लिक न करें. यह लोगों के साथ धोखाधड़ी करने का दूसरा तरीका है. उदाहरण के लिए अगर आप OLX या Quickr जैसी वेबसाइट्स के जरिए कोई सामान बेच रहे हैं, तो किसी लिंक पर क्लिक करके पेमेंट लेने से बचें. आपके विज्ञापन को देखकर खरीदार आपसे संपर्क करता है और आपको पेमेंट को लेने के लिए भेजे गए लिंक पर क्लिक करने के लिए कहता है, अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपको इस जमा राशि का नोटिफिकेशन बैंक से प्राप्त होगा.
OTP न शेयर करें
ज्यादातर फ्रॉड ओटीपी को शेयर करने से होते हैं. हालांकि, लोगों को यह पता होता है कि उन्हें अपना ओटीपी किसी दूसरे व्यक्ति से शेयर नहीं करना चाहिए, लेकिन कुछ लोग यह गलती कर बैठते हैं. इसमें धोखाधड़ी करने वाले लोग यह बोल सकते हैं कि ओटीपी गलती से भेज दिया गया या वे बैंक के कर्मचारी बन कर बात कर सकते हैं या ग्राहक जो सर्विस चाहता है, उसके बारे में बात करके ओटीपी मालूम कर सकते हैं. ओटीपी को शेयर करना का मतलब है कि कोई भी व्यक्ति आपके अकाउंट ले पैसे निकाल सकता है.