टैक्स सेविंग कराने वाले कई विकल्पों में से एक नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) भी है. आयकर कानून का सेक्शन 80CCD NPS अकाउंट पर टैक्स डिडक्शन का फायदा उपलब्ध कराता है. NPS सरकारी व प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए सरकार और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) की निवेश स्कीम है. इसमें नौकरी काल के दौरान निवेश करने पर व्यक्ति को 60 साल की उम्र पर पहुंचने पर एकमुश्त रिटायरमेंट फंड और बाद में एन्युटी बेनिफिट उपलब्ध होता है.
सेक्शन 80CCD का सब सेक्शन 80CCD (1) इस पेंशन स्कीम में जमा पर टैक्स में छूट दिलाता है. सैलरीड इंप्लॉई अपनी सैलरी का 10 फीसदी तक और सेल्फ इंप्लॉयड व्यक्ति अपनी कुल आय का 20 फीसदी तक पेंशन अकाउंट में जमा कर छूट पा सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है. इसके अलावा एक अन्य सब सेक्शन 80CCD (1B) भी है, जिसके तहत सैलरीड इंप्लॉई और सेल्फ इंप्लॉयड व्यक्ति दोनों अपनी तरफ से NPS अकाउंट में डिपॉजिट कर अतिरिक्त टैक्स छूट का लाभ ले सकता है. यह 50000 रुपये तक होगी.
एंप्लॉयर के योगदान पर भी फायदा
NPS अकाउंट में एंप्लॉयर द्वारा किए गए अंशदान पर भी कर्मचारी टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. ऐसा सब सेक्शन 80CCD (2) के अंतर्गत होगा. एंप्लॉयर का अंशदान, इंप्लॉई की सैलरी के 10 फीसदी के बराबर या इससे ज्यादा हो सकता है.
NPS का कौन ले सकता है लाभ
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में 18 से 60 साल की उम्र के बीच का कोई भी वेतनभोगी जुड़ सकता है. पहले यह सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए था, लेकिन 2009 से प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वालों के लिए स्कीम खोल दी गई. किसी भी नजदीकी बैंक ब्रांच में जाकर अकाउंट खुलवाया जा सकता है.
याद रखें यह शर्त
NPS में दो तरह के अकाउंट होते हैं Tier-I और Tier-II. Tier-I एक रिटायरमेंट अकाउंट होता है, जिसे हर सरकारी कर्मचारी के लिए खुलवाना अनिवार्य है. वहीं Tier-II एक वॉलेंटरी अकाउंट होता है, जिसमें कोई भी वेतनभोगी अपनी तरफ से इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकता है और कभी भी पैसे निकाल सकता है.
NPS Tier 1 अकाउंट पर टैक्स डिडक्शन पाने के लिए अकाउंट में सालाना मिनिमम 6000 रुपये या मंथली 500 रुपये का योगदान जरूरी है. वहीं NPS Tier 2 खाते पर डिडक्शन क्लेम करने के लिए मिनिमम 2000 रुपये सालाना या 250 रुपये मंथली का योगदान जरूरी है.