प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज मन की बात प्रोग्राम के जरिए 63वीं बार जनता को संबोधित कर रहे हैं. इस बार के प्रोग्राम में पीएम मोदी कोविड-19 के कारण उत्पन्न वर्तमान हालात और देशव्यापी लॉकडाउन पर देशवासियों से बात कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस ने भारत के देशवासियों समेत पूरी दुनिया को कैद कर दिया है. यह ज्ञान, विज्ञान, गरीब, संपन्न, कमजोर, ताकतवर हर किसी को चुनौती दे रहा है. यह वायरस न तो राष्ट्र की सीमाओं से बंधा है और न ही यह कोई क्षेत्र देखता है, न ही कोई मौसम. यह इंसान को मारने की जिद ठाने बैठा है. इसलिए सभी को, पूरी मानवजाति को इस वायरस को खत्म करने के लिए एकजुट होना होगा.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है, ‘एवं एवं विकार: अपी तरुन्हा साध्यते सुखं’. यानी बीमारी और उसके प्रकोप से शुरुआत में ही निपटना चाहिए. बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है. आज पूरा हिन्दुस्तान, हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है. आगे कहा कि आज कई लोग मुझसे नाराज होंगे कि ऐसे कैसे सभी को घरों में कैद कर दिया है.
मैं आपकी परेशानी भी समझता हू्ं, लेकिन भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश को कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए यह कदम उठाना पड़ा. इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था. कोरोना के खिलाफ जंग में जीतने के लिए कठोर कदम उठाने बहुत आवश्यक थे. इन फैसलों से आप सभी को कठिनाइयां हो रही हैं, खास कर मेरे गरीब भाई बहनों को. उनसे भी मैं विशेष रूप से माफी मांगता हूं. मैं सबसे क्षमा मांगता हूं और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरूर माफ करेंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी देशवासियों को साहस एवं संकल्प प्रदर्शित करना होगा. कई और दिनों तक लॉक डाउन की इस लक्ष्मण रेखा का पालन करना होगा. ऐसा कर आप खुद को बचा रहे हैं, अपने परिवार को बचा रहे हैं. आगे कहा कि मैं जानता हूं कि कोई कानून, नियम नहीं तोड़ना चाहता. लेकिन कुछ लोग अभी भी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं. लॉकडाउन नियमों को तोड़ेंगे तो कोरोना से बचना मुश्किल हो जाएगा. दुनियाभर के बहुत से लोगों ने यह गलती की, आज वे सब पछता रहे हैं.
संदिग्धों, होम क्वारंटाइन लोगों के साथ न करें बुरा बर्ताव
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मुझे कुछ ऐसी घटनाओं का पता चला है जिनमें कोरोना वायरस के संदिग्ध या फिर जिन्हें होम क्वारंटाइन में रहने को कहा गया है, उनके साथ कुछ लोग बुरा बर्ताव कर रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. हमें यह समझना होगा कि मौजूदा हालात में, अभी एक दूसरे से सिर्फ सोशल डिस्टेंस बना कर रखनी है, न कि इमोशनल या ह्यूमन डिस्टेंस. ऐसे लोग कोई अपराधी नहीं हैं बल्कि वायरस के संभावित पीड़ित–भर हैं. इन लोगों ने दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए खुद को अलग किया है और क्वारंटाइन में रहे हैं. कई जगह पर लोगों ने अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लिया है. यहां तक कि वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखने पर भी उन्होंने खुद को क्वारंटाइन किया. वे सावधानी बरत रहे हैं. वे ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसी भी सूरत में कोई दूसरा व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित न हो पाए. जब लोग खुद इतनी जिम्मेदारी दिखा रहे हैं तो उनके साथ खराब व्यवहार करना कहीं से भी जायज नहीं है बल्कि उनके साथ सहानूभूतिपूर्वक सहयोग करने की आवश्यकता है.