कोरोना वायरस के चलते कैपिटल मार्केट की हालत पिछले 2 महीने से बेहद खराब है. इक्विटी मार्केट के साथ म्यूचुअल फंड मार्केट में निवेशकों को जमकर नुकसान हुआ है. गिरावट इतनी ज्यादा है कि म्यूचुअल फंड एसआईपी निवेशकों का भी भरोसा हिल गया है. बहुत से निवेशकों ने एसआईपी बंद कर दी या निवेश से बाहर आने की सोच रहे हैं. फिलहाल शेयर बाजार में इस तरह की बड़ी गिरावट पहली बार नहीं आई है. 1997 से अबतक कई बार ऐसा हुआ है, जब गिरावट किसी बड़ी वजह से आई हो. लेकिन हर बार गिरने के बाद बाजार संभलता है. ऐसे में एक उदाहरण के जरिए हम बताएंगे कि किस तरह से ऐसी स्थिति में भी एसआईपी बनाए रखना फायदेमंद है.
गिरावट के पहले की बात करें तो पिछले कुछ सालों में एसआईपी को लेकर निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ा था. अप्रैल 2016 में हर महीने एसआईपी के जरिए आने वाला औसत निवेश 3,122 करोड़ रुपये था. वहीं, यह फरवरी 2020 में बढ़कर 8,513 करोड़ रुपये हो गया.
बाजार में गिरावट नया नहीं
बाजार में जो मौजूदा गिरावट आई है, वह पहली बार नहीं हो रहा है. पहले के भी कुछ उदाहरण देख सकते हैं. 1992-93 में हर्षद मेहता स्कैम की वजह से शेयर बाजार में अप्रैल 1992 से अप्रैल 1993 के बीच 45 फीसदी गिरावट आई. 1997 में बाजार में वोलैटिलिटी हमेशा मौजूद रहती है. अभी जनवरी 2020 से मार्च 2020 के बीच कोरोना वायरस के चलते बाजार में 32 फीसदी गिरावट आ चुकी है. जनवरी 2008 से जून 2099 के दौरान मंदी के चलते बाजार में 20 फीसदी गिरावट आई थी. मार्च 2015 से फरवरी 2016 के बीच चीन में मंदी की वजह से शेयर बाजार में 15 फीसदी गिरावट आई.
हड़बड़ी में न करें ये 3 गलतियां
जब बाजार में इस तरह की गिरावट आती है तो निश्चित रूप से निवेशकों का भरोसा हिल जाता है. ऐसे में वे हड़बड़ी में कुछ गलतियां करने लगते हैं.
• पैनिक सेलिंग: हड़बड़ी में पैनिक सेलिंग करने से बचें. जब बाजार में वैसे ही बड़ी गिरावट में आपके शेयर का भाव कम हो गया है, जल्दबाजी में बिकवाली करने से सिर्फ घाटा होगा.
• अपने लक्ष्य से हट जाना: निवेश किया है तो आप अपने लक्ष्य से न हटें. बाजार का इतिहास रहा है कि गिरावट के बाद भी लंबी अवधि में रिटर्न बेहतर रहा है.
• दूसरों की देखादेखी न करें: ऐसी सिथति में बाजार में कई तरह की अफवाहें होती हैं. ऐसे में एक बड़ा ग्रुप अगर डरकर कोई फैसला ले रहा है, तो आप भी उनकी देखा देखी काम न करें.
लंबी अवधि में बाजार हमेशा देता है अच्छा रिटर्न
1997 से अबतक बाजार में कई मौकों पर बड़ी गिरावट आई है. लेकिन तबसे अबतक का रिटर्न देखें तो बाजार ने निराश नहीं किया है. पिछले 15 साल की बात करें तो S&P BSE सेंसेक्स ने 15 फीसदी सालाना के हिसाब से रिटर्न दिया है. बेहतर है कि जब बाजार में बड़ी गिरावट में आप फंस जाएं तो अपना निवेश होल्ड कर बेहतर समय आने का इंतजार करें. वहीं ऐसी स्थिति में एसआईपी आपके रिस्क को कम करने में मदद कर सकता है.
SIP बनाए रखने में कैसे फायदा
इसे एक उदाहरण से समझते हैं. अजय, समीर और विकास ने अप्रैल 1997 में हर महीने 1000 रुपये की इक्विटी एसआईपी शुरू करने का फैसला किया. आगे जब भी बाजार में गिरावट आई, अजय ने एसआईपी जारी रखने का फैसला किया. समीर ने जब भी बाजार 15 फीसदी गिरा, उसके अगले साल एसआईपी दोगुना कर 2000 रुपये कर दिया. वहीं, विकास ने जब भी बाजार 15 फीसदी या ज्यादा गिरा, एक साल के लिए एसआईपी बंद करने का फैसला किया.